हम चाहेंगे कि सब होने पर भी हमारे अंदर बची रह जाए कविता पढ़ने की इच्छा। हाशिए पर पेंसिल से लिखा किसी के हिस्से का प्रेम। कई सालों बाद हम गुज़रेंगे सिंबोर्सका के नक़्शे से और कविताओं में ट्रेस करेंगे कोई पोलिश पुराना दुःख। हिटलर की हिंसा। यहूदियों के बचे हुए कुछ गीत। कुछ तस्वीरें।
अंतहीन दुःख की सीमा पर खड़ी, मैं सोचूँगी। तुम होते तो तुमसे बाँट कर थोड़ा कम होता सीने पर का ये बोझ। तुम होते तो कहती तुमसे, अपनी दिलकश आवाज़ में जानां, सुनाओ एक कविता कि जिसे सुन कर इस दुखती, जलती आत्मा को ठंढ पहुँचे थोड़ी।
इस दुनिया का कोई सिरा मुझे समझ नहीं आता। फिर भी उन्हें फ़ोन करती हूँ। हँसती हूँ, सरकार, कहते हुए। वे कहते हैं, कल शाम तुम्हें याद कर रहा था और देखो आज तुम्हारा फ़ोन आ गया। कि ऐसा पहले भी हुआ था, तुम्हें याद किया और तुम्हारा फ़ोन आ गया है। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। उनके शब्दों से। उनकी आवाज़ से। साथ पी गयी सिगरेट के छूटे हुए टुकड़ों से।
जब ज़िंदगी ज़ख़्म देती है तो दुःख सहने भर को कलेजा और जान बची रहे, इतने भर को दोस्त भी देती है। शाम V से बात हुयी। कहा उससे कि दिल्ली आयी थी। तुमसे घंटों बात करने का मन नहीं था, लेकिन मिलने का बहुत मन था, बहुत। उससे मिले साल से ऊपर हो गया अब। शाम बात की उससे। कहना चाहती थी। अपना ख़याल रख। पर सिग्नल ठीक आ नहीं रहा था। सो फ़ोन रख दिया।
बेस्ट फ़्रेंड को बेटा हुआ है, अभी दो दिन पहले। दो दिन से देखा नहीं है वो दिखती कैसी है। कल उसकी माँ से बात हुयी तो कहे, एक उसकी फ़ोटो भेज दीजिए। लेकिन उन्होंने भेजी नहीं है, व्यस्त होंगी। मैं अपनी कल्पना से उसकी आँखें रंगती हूँ। जो प्यार से अपने बच्चे को देख रही हैं। दुआएँ माँगती हूँ। नज़रबट्टू लगाती हूँ।
टेबल से सारी चिप्पियाँ हटा दीं हैं। मन को शांत करती हूँ।
देर रात सोने से पहले आख़िरी नाम मन में एक ऐसे दोस्त का उगता है जो अचानक बहुत दूर चला गया है। ख़ुद को माफ़ कर देती हूँ, सबसे ही बहुत ज़्यादा प्यार करने के लिए।
और इस तरह इस बर्बाद होती हुयी दुनिया में, ख़ुद को बचा ले जाती हूँ।
#soulrunes #dilliwaleydost #almoststrangers