आह, कितनी ही दूर थे तुम मुझसे!
रास्ते में कितनी ही उल्काएँ, उपग्रह, सितारे पड़े
कैसी रूखी सतह थी उनकी
जैसे सदियों किसी कवि ने उन्हें दुलराया नहीं हो
तुम्हारे पास पहुँचते पहुँचते मेरे पाँव दुःख गए।
तुम वाक़ई मुझसे प्रेम करते हो
तो ज़रा मेरे पाँव दबा दो।
beautiful writes 👌
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