Musings, Poetry

सोना बदन और राख दिल वाली औरतों का होना

थोड़ा कम मुश्किल है
उसके प्रेम में, भला आदमी बनना
इसलिए, रे बुड़बक लड़के!
प्रेमिका ऐसी चुनना
जो तुम्हें जानवर से इन्सान बना सके।

(लड़कियों को सिखाया जाता है
अविवाहित, जंगली लड़कों को
आँचल के नीचे छुपा
पालतू बनाना)

मुझसे मत पूछो
कि उस लड़की का क्या
जिसे भले लड़के नापसंद हैं
जिसे किसी लफुए से शादी करनी है
जो उससे ज़्यादा बिगड़ा हुआ हो
उसपर सच्चरित्र होने का बोझ ना डाले
सती सावित्री नहीं, सैटिस्फ़ायड होना है उसे।

तुम भले लड़के हो
(अरेंज मैरेज करने वाले लड़के
भले होते हैं या मजबूर?)

तुम्हारे लिए बहुत ही मुश्किल है
माँग सकना, उसका बदन
या कि चूमने की इजाज़त ही।

तुमसे होगा?
दोबजिया पैसेंजर ट्रेन लेकर जाना
उस छोटे हॉल्ट पर
जहाँ दिन भर में एक ट्रेन रूकती है।

ब्लैक कुर्ते के तीन बटन खोल कर
गले में डाले हुए लाल चेक गमछा
लू के थपेड़े खाते हुए
इंतज़ार करना, पेड़ के नीचे।

हुमक कर नहीं भरना उसे बाँहों में
चिट्ठी गिराने के बहाने, घर से निकल कर
वो प्रेम और पसीने में लथपथ आए, तो।

नहाना नहर में साथ
देना उसे गमछा, बदन पोंछने के लिए
और लम्बे बालों का जूड़ा लपेटने को।

शायरी नहीं, कामसूत्र रटना
हनीमून के लिए शिमला मनाली नहीं
खजुराहो का प्लान बनाना
गिफ़्ट में देना, पलंगतोड़ पान।

दुनिया में सब भले नहीं होते
तुम, अपने जैसा होना
और चुनना, अपने जैसी ही
जंगली, कटखनी लड़की

प्रेम में शोर की जगह रखना
चीख़ चीख़ के लड़ना
ज़ोर ज़ोर से गाना
और हाँ,
अपने बच्चे की छट्ठी में
हमको पक्के से बुलाना।

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