Musings

कौतुक। जिज्ञासा। या कि बस मेरा पागल मन।

कि जो अचरज से देख सकता है हर बारिश को…हर शाम को…हर बार पूरनमासी को।
व्यक्तियों के कई कई डिटेल सेव करके रखता है जो अपनी इन्फ़िनिट मेमरी में।
हज़ार सवालों का बना मेरा मन।

किसी से बात करते हुए उसके कमरे के बारे में कल्पनाएँ। उसकी खिड़की से कैसा मंज़र दिखता है। कौन सी इमारतें। शाम को सूरज दिखता है या नहीं। पूरनमासी को चाँद पूछता है कुछ उससे? परदे किस रंग के हैं। बिस्तर पड़ी चादरों में सिलवट होती है या नहीं…कितने दिन पर धुलती है चादर। उसकी बेपरवाही कैसी है? उसकी बेपरवाह नज़र मुहब्बत से छू लेती है जिन्हें, वे कौन से लोग हैं। शहर की इमारत क्या पहचानती है उसे?

दरअसल, उस हर चीज़ की शिनाख्त जो उसके इर्द गिर्द है।
मैं किसी के घर चली जाऊँ जो मुझे पसंद है, तो हर चीज़ को मन में नोट करती चली जाऊँ…कपड़ों के रैक में लगे कपड़े। किचन के बर्तन। फूल। और इन सबके बीच उसका होना।

अंग्रेज़ी में कहावत है, curiosity killed the cat. मैं सोचती हूँ, ग़नीमत है कि मैं बिल्ली नहीं हूँ। कब का मर चुकी होती। लेखक के लिए यही कौतूहल तो बेस मटीरीयल है। हम हर कुछ जानना चाहते हैं। पहली बार गूगल और विकिपीडिया के बारे में जानना ख़ुशी से बावरी हो जाना ही था। आज भी इंटर्नेट मेरे हज़ारों हवालों का हल है। कि सब कुछ ही जानना होता है गूगल से।

लेकिन उन सवालों का क्या जो गूगल के पास नहीं, किसी व्यक्ति के पास होते हैं। नितांत व्यक्तिगत सवाल। जो शायद मुझे नहीं पूछने चाहिए।
कि ख़ुश हो तुम? या कि कौन सा दुःख सींचता है तुम्हारी कविता को?
या कि क्या करोगे अगर तुम्हें मुझसे प्यार हो गया तो?

लेकिन ये सवाल नहीं पूछती। वैसे पूछती हूँ जिनसे सिर्फ़ मेरा पागलपन ज़ाहिर हो सके। प्रेम नहीं।
कि कौन सा आफ़्टर्शेव लगाते हो तुम? (न कि ये, कि तुम्हारे बदन से कैसी ख़ुशबू आती है)
कि विस्की कौन सी पसंद है तुम्हें? (न कि तुम अपनी विस्की में कितनी आइस क्यूब्ज़ डालते हो)
चूइंगम क्यूँ खाते रहते हो दिन भर? (न कि तुम्हें चूम लेने का मन करे तो क्या करूँ)

बस एक बार तुमसे मिली तो एक पर्सनल सवाल किए बिना रह नहीं पायी। कि, Can I get a hug?

फिर सब पूछते फिरते हैं कि ऐसे लड़के कहाँ मिलते हैं जो कहानियों में रख देती हो…क्या कहूँ उन्हें, ऐसे लड़के मिल ही जाते तो कितनी आसान होती ज़िंदगी। कच्चे लोग मिलते हैं, जिनमें थोड़ा पागलपन रखना होता है। मुहब्बत से रचना होता है उनका काँच दिल। और फिर अफ़सोस की तीखी धार से करना होता है उनका क़त्ल ही।

फ़िलहाल इतना है। कि प्रेम अपने अधूरेपन में दुखता नहीं। और तुम्हारी बेतरह याद आती है।
फिर कोई भी सर्च इंजन ये कहाँ बता पाता है कि तुम मुझे याद करते हो या नहीं।

बेतरह प्यार। तुम्हें।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s