मैंने ये नहीं चाहा था कि तारीख़ों को यूँ सीने से लगा कर जियूँ। बीते हुए किसी लम्हे को फ़्रेम कर के रख लूँ और उसकी याद में फीका होता अपना वर्तमान देखूँ।
होना ये चाहिए था कि इस वर्तमान के अपने रंग होते, सपनों की आउट्लायन होती और धीरे धीरे तस्वीर पूरी होती जाती। लेकिन ज़िंदगी के अपने प्लैंज़ हैं। या कि मेरे प्लैंज़ को बर्बाद करने में भी तो मेहनत लगती है।
बहुत सा ट्रैवल प्लान कर रखा था मैंने। दिल्ली। मुंबई। राजस्थान। पटना। कुछ जगहों पर काम के सिलसिले में जाना था। कुछ जगहों पर मन के खोए मकान तलाशने को। कुछ लोग छूट गए थे पीछे, उनसे मिलने का भी मन था।
मगर हुआ ये कि एक के बाद एक लड़ाई मुझे यूँ उलझाती रही कि बस ज़िंदा रहने में बहुत वक़्त गुज़र गया। कुछ साल पहले पापा के यहाँ एक बाबाजी आए थे। पापा को उनमें बहुत विश्वास था। हमको बोले, बाबा से जो माँगना है माँग लो। बाबा को भी लगा होगा कि हम बाल-बच्चा जैसा कोई छोटा मोटा चीज़ माँगेंगे लेकिन हम भी हम थे उन दिनों…हम पूछ बैठे, बाबा, मन की शांति कैसे मिलेगी। आप जो दुनिया को त्याग कर ईश्वर की शरण में चले गए हैं, क्या आपका मन शांत रहता है। इस दुनिया में रहते हुए मन शांत कैसे रहे। बाबा ने कुछ कुछ बातों से मुझे फुसलाया लेकिन मुझे संतोष नहीं हुआ। पापा से डांट अलग खाए कि आपको जो मन सो सवाल करना होता है, कितना मुश्किल से हम बाबा को मना कर घर लाए थे और आप फ़ालतू सब चीज़ माँगना शुरू कर दीं।
अब जानती हूँ कि लड़ाई लम्बी चलेगी और मुझे इस लड़ाई के ख़त्म होने का इंतज़ार नहीं करना है। ज़िंदगी यहीं जीनी है। इसी लड़ाई के बीच। यहीं फूल भी लगाने हैं और कहानियाँ भी लिखनी हैं। यहीं ड्राइविंग लाइसेन्स के लिए फिर से अप्लाई करना है और एनफ़ील्ड की लम्बी राइड पर जाने के लिए ख़ुद को तैय्यार करना है। अपने खाने पीने का ध्यान रखना है। ख़ुद को फ़िट रखने के लिए तैराकी शुरू करनी है।
किताबों और फ़िल्मों के लिए ख़ुद को मेंटली ख़ाली भी रखना है और उन्हें देख कर मेमरी में कुछ स्पेस उनके बारे में अपनी राय रखने के लिए भी रखना है।
फिर से जीना सीखना है। चलना सीखना है एक एक क़दम करके। ज़िंदगी में कुछ लोगों को शामिल होने की जगह देनी है।
हर बार थक जाने के बाद ख़ुद को थोड़ा और मज़बूत करना है। थोड़ी और लम्बी लड़ाई के लिए थोड़ी हँसी और रखनी है पास में। जीना है। और हँसते हुए जीना है। मुहब्बत के ऊपर लगा बैन हटाना है और उसे दिल में जगह देनी है, थोड़ी सी।
तत् त्वम असि।